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गोपालगंज मामले में आपस में भिड़ गए BJP-JDU

गोपालगंज के मुद्दे पर जिस तरह से BJP और JDU आमने सामने आए हैं उसके पीछे आगामी विधानसभा चुनाव में होने वाली सीट शेयरिंग का गणित बड़ा कारण है।

Utkarsh Kumar Singh Reported By Utkarsh Kumar Singh |
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बिहार के गोपालगंज में सत्तरघाट पुल के पास एप्रोच सड़क ध्वस्त होने का मुद्दा अब राजनीति की भेंट चढ़ चुका है।

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अप्रोच रोड बहने के बाद मैं मीडिया ने इससे जुड़े तमाम पहलू आपको दिखाए थे, आपको बताया था कि सड़क ढहने की चेतवानी देने वाले मुखिया पति संजय राय समेत कई ग्रामीणों पर पर ठेकेदार ने काम में बाधा पहुंचाने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था।


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मैं मीडिया ने मुखियापति चेतवानी देने वाला वीडियो भी आपको दिखाया था जिसके बाद नेता विरोधी दल तेजस्वी यादव ने भी उस वीडियो को शेयर कर सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे।

हालांकि सत्ताधारी दल JDU के नेताओं ने संजय राय की पुरानी कुंडली निकालते हुए दावा किया था कि उसपर पहले से ही कई आपराधिक मामले चल रहे हैं। उनका दावा था कि पुलिस संजय राय को पिछले मामलों में ढूंढ रही है। लेकिन संजय राय ने अपने ऊपर FIR दर्ज होने के मामले में स्थानीय JDU नेता और पूर्व विधायक मंजीत सिंह पर आरोप लगाया था।

मैं मीडिया को इस बात की जानकारी पहले से ही थी कि संजय राय स्थानीय बीजेपी विधायक मिथिलेश तिवारी का करीबी है। लेकिन जिस तरह से JDU उसपर हमलावर है, उसको देखते हुए यह साफ हो चुका है कि गोपालगंज में अप्रोच रोड बहने के मामले में JDU और BJP अब आमने-सामने आ चुके हैं। JDU जिस मुखियापति को दुर्दांत अपराधी साबित करने पर तुली हुई है, स्थानीय BJP विधायक अब उसके बचाव में उतर आए हैं। विधायक ने पुलिस पर हमला और सांप्रदायिक दंगा के आरोपित मुखियापति को फंसाने के आरोप लगाते हुए उसे निर्दोष बताया है।

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BJP नेता ने कहा कि सत्तरघाट पुल के दो किलोमीटर गोपालगंज की तरफ एक माइनर ब्रिज का संपर्क पथ टूटा और उसको लेकर विपक्ष ने पूरे देश में हाय तौबा मचा हुआ है। जबकि वास्तविकता ये है कि पुल नहीं टूटा, सिर्फ उसकी अप्रोच रोड टूटी है। इसमें अधिकारी, संवदेक दोषी हैं और उसके ऊपर हर हाल में कार्रवाई होनी चाहिए। विधायक ने इसके लिए सरकार पर दबाव बनाने और सरकार के उच्च अधिकारियों से बात करने की बात कही। विधायक ने आरोप लगाया कि मुखियापति पर जो FIR हुई है वो स्थानीय संवेदक ने एक राजनेता के दबाव में की है। जबकि मुखियापति संजय राय सिर्फ संवेदक को कुछ सुझाव दे रहे थे, उसी को लेकर बकझक हुई और उनपर FIR दर्ज करा दी गई।

दूसरी तरफ JDU के प्रदेश महासचिव और बैकुंठपुर के पूर्व विधायक मंजीत सिंह ने मुखियापति को वांटेड बताते हुए गिरफ्तारी की मांग की है। मंजीत सिंह के मुताबिक सरकार को बदनाम करने के लिए जानबूझकर एप्रोच सड़क काटी गई है। JDU नेता ने कहा कि संजय राय एक अपराधी है, विस्फोटक रखने, पुलिस पर हमला जैसे मामलों में वांटेड है। अप्रोच रोड बहने से पहले और बाद में वो वीडियो बना रहे थे, इस मामले में उसकी जल्द से जल्द गिरफ्तारी की मांग की।

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उधर पुलिस कप्तान मनोज तिवारी ने बताया कि गिरफ्तारी के लिए छापेमारी चल रही है। इस कांड में पहले ही कई लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं, मुखियापति की भी जल्द गिरफ्तारी कर ली जाएगी। पुलिस पर कोई भी राजनीतिक दबाव नहीं है।

गोपालगंज के मुद्दे पर जिस तरह से BJP और JDU आमने सामने आए हैं उसके पीछे आगामी विधानसभा चुनाव में होने वाली सीट शेयरिंग का गणित बड़ा कारण है। दरअसल पिछले विधानसभा चुनाव में ये सीट BJP के मिथिलेश तिवारी ने जीती थी, तब JDU महागठबंधन का हिस्सा था और उसके प्रत्याशी मंजीत सिंह को हार का मुंह देखना पड़ा था। अब BJP-JDU साथ हैं, ऐसे में JDU प्रत्याशी को ये डर सता रहा कि कहीं ये सीट BJP के ही पास न रह जाए। जबकि BJP प्रत्याशी को लग रहा कि सीट शेयरिंग की नई गणित में कहीं उनकी सीट हाथ से न निकल जाए। हालांकि फिलहाल इस सीट पर BJP का दावा मजबूत नज़र आ रहा है लेकिन जिस तरह से दोनों राजनीतिक दलों के बीच शह-मात का खेल चल रहा है उससे इतना तो साफ है कि इन्होंने आपदा को अवसर में जरूर बदल लिया है।

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